कार्तिक पूर्णिमा पर श्रंगीरामपुर में हुआ रावण वध

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कमालगंज (फर्रुखाबाद): श्रंगीरामपुर पुरातन काल से ही तीर्थ स्थली रहा है। जहां जनपद से ही नहीं अन्य जनपदों व प्रदेशों से भी लोग आकर अपनी मन्नतों को मांगते हैं। इसी परम्परा की कड़ी में यहां पर पूर्णिमा के दिन ही रावण दहन किया जाता है। बुधवार को जहां एक तरफ दूर दराज से आये श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए पहुंचे वहीं स्थानीय लोगों ने सात दिन से चल रही रामलीला का आज रावण वध का लुत्फ उठाया।

श्रंगीरामपुर में परम्परा है कि कार्तिकपूर्णिमा के स्नान के एक सप्ताह पहले से रामलीला होती है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही रावण वध किया जाता है। मान्यता है कि राजा दशरथ के जब कोई संतान नहीं हुई थी तो बाबा श्रंगी ऋषि के शिष्यों ने सलाह दी थी कि आप श्रंगी बाबा के शानिध्य में जाये तो आपको संतान पैदा होगी। राजा दशरथ श्रंगीरामपुर आये थे। तभी बाबा ने यज्ञ कर राजा दशरथ को वरदान दिया था। इसी परिप्रेक्ष्य में आज तक राम की याद में रामलीला का आयोजन कर रावण वध किया जाता है। बुधवार को बड़े ही धूम धाम से रावण वध किया गया। दूर दराज से आये श्रद्धालुओं ने गंगा घाट पर स्नान कर अपने को धन्य किया।

एक सप्ताह तक चलता है मवेशी बाजार
श्रंगीरामपुर में लगने वाला मवेशी बाजार की ख्याति दूर दूर तक है। यहां पर एक सप्ताह तक नुमाइस लगती है। जहां पर जनपद से ही नहीं अन्य प्रदेशों व जनपदों से बंजारे व व्यापारी आकर डेरा जमा लेते हैं और कई दिनों तक मवेशी पशुओं की खरीद व विक्री करते हैं। जिनमें गाय, बैल, भैंस, बछड़े व अन्य प्रदेशों से लायी जाने वाली भैंसों व पड़िया की अधिकांशतः विक्री की जाती है। मेले में क्षेत्रीय लोगों को जरूरत के सामान व पशुओं के अलावा रोजगार का साधन भी बनता है।