बेखबर शिक्षा विभाग: जर्जर भवन में बैठने को मजबूर मासूम

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फर्रुखाबाद: प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शिक्षा पर केन्द्र व राज्य सरकारें करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा रही हैं। लेकिन प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों व उनमें पढ़ने वाले छात्रों की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इन विद्यालयों में छात्रों की पढ़ाई का माहौल तक नहीं है। जर्जर भवन, खुला परिवेश, धूप, गर्मी, कोहरा, वर्षा जैसे मौसम में भी छात्र खुले में ही शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। ऐसा ही एक राजेपुर विकासखण्ड क्षेत्र के ग्राम नगला पंखियन का विद्यालय है। जहां पर जर्जर भवन में छात्र पढ़ने के लिए मजबूर हैं। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नजर आज तक इस विद्यालय पर नहीं गयी।

प्राथमिक विद्यालय नगला पंखियान में कुल 205 छात्र हैं। जिनमें से लगभग 150 प्रति दिन उपस्थित होते हैं। विद्यालय में एक हेड मास्टर व चार सहायिकाओं के अलावा दो शिक्षामित्र भी तैनात हैं। लेकिन पढ़ाई व छात्राओं की सुविधाओं के नाम पर जीरो। बच्चों को बैठने के लिए जर्जर व चटखा भवन है। जिस पर भी ग्रामीणों का कब्जा। बच्चे बैठाने के लिए विद्यालय में जगह नहीं है। विद्यालय आने वाले छात्र इधर उधर बैठाकर शिक्षण कार्य किया जा रहा है। पूरा भवन जर्जर व चटका होने के कारण शिक्षिकायें विद्यालय भवन में बच्चों को नहीं बैठातीं। लेकिन आज तक इस विद्यालय पर शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों ने हालत को देखने की जहमत नहीं उठायी। बच्चों के साथ कभी भी कोई दुर्घटना घटने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

विद्यालय मुख्य मार्ग के किनारे होने से सुविधा के लिए 4 सहायिका व 2 शिक्षामित्र महिला अध्यापक ने अपनी तैनाती करा ली है। लेकिन पढ़ाई के नाम पर छात्रों के साथ छलावा किया जा रहा है। सरकार से भारी भरकम वेतन लेने वाले शिक्षकों को यह नहीं मालूम कि यदि शिक्षा का परिवेश ही शिक्षण लायक नहीं बना सकते तो फिर बच्चों को शिक्षा क्या देंगे। यह हालत मात्र राजेपुर क्षेत्र के एक विद्यालय की नहीं है। दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं जहां पर बच्चों को गिनती पहाड़ा तक पांच साल में नहीं सिखा पाते। यही हाल प्राइमरी शिक्षा का रहा तो सरकार की निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा नीति का सपना कोरा ही साबित होगा।

प्रधानाध्यापक श्यामादेवी से पूछने पर बताया कि भवन पूरा चटका है जिसकी रिपेयरिंग करवाना भी संभव नहीं है।