फर्रुखाबाद: जनपद में अन्य किसी का विकास हो अथवा न हो लेकिन सट्टा कारोबार का विकास लगातार हो रहा है। पुलिस की मिलीभगत के चलते सट्टा कारोबार पूरे शबाब पर है। शहर में लगने वाला सट्टा अब गांवों तक पैर पसार चुका है। एक वक्त लगने वाला सट्टा अब दो वक्त लग रहा है। शहर में मोहल्ले मोहल्ले खुलेआम सट्टा कारोबारियों की दुकानें सजी हुई हैं। लेकिन पुलिस के उच्चाधिकारी इस सबको जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं।
जनता की रक्षा व विकास का जिम्मा लेने वाले ही यदि जनता को लूटने की खुली छूट दे दें तो फिर वह कहावत ही पूरी हो जाती है कि रक्षक ही भक्षक बना है। यही हाल शहर के गरीबों का है। गरीब अपनी रोज कमाई गयी दिहाड़ी को सट्टा जैसे घृणित कार्य में खर्च कर रहे हैं जिससे उनके घरों में बच्चे भूखों मरने के कगार पर पहुंच रहे हैं। शहर के अधिकांश मोहल्लों में सट्टे की दुकानें सजी हुई हैं।
सूत्रों की मानें तो पुलिस द्वारा 5 हजार से 10 हजार प्रति माह सट्टा कारोबारी की हैसियत के मुताबिक एकमुश्त राशि पुलिस को पहुंचा दी जाती है। इसके बाद सट्टा कारोबारी पूरे माह भर जैसे चाहे वैसे सट्टे का कारोबार चमका सकता है। शहर में लगभग 40 से 50 जगहें ऐसी हैं जहां पर सट्टा कारोबार धड़ल्ले से चलाया जा रहा है। जिनसे प्रतिमाह पुलिस को तयशुदा रकम मिल जाती है। गढ़ी कोहना असगर रोड पर हरिश्चन्द्र, सुरेन्द्र, नई बस्ती में राजीव, घटियाघाट, आवास विकास तिराहा, रामलीला गड्ढा, खटकपुरा, कादरीगेट आदि में तयशुदा स्थानों पर सट्टा कारोबार किया जा रहा है। जिन स्थानों का ऐसा नहीं है कि पुलिस को जानकारी न हो। पुलिस सट्टा कारोबारियों पर शिकंजा कसने की बजाय इन्हें संरक्षण दे रही है। जिससे शहर में सट्टे का कारोबार दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है।
अभी तक जो सट्टा कारोबार 24 घंटे में एक समय ही किया जाता था। 24 घंटे में मात्र एक ही नम्बर आता था अब खुली छूट का फायदा उठाते हुए कारोबारियों ने सट्टे का विकास कर दिया है। अब 24 घंटे में दो बार नम्बर खोला जाता है। सुबह शाम सटोरियों की तयशुदा स्थानों पर भीड़ जमा हो जाती है। जहां पर रोजाना की दिहाड़ी मजदूर व गरीब सट्टा लगाकर गवां रहे हैं। लेकिन पुलिस के उच्चाधिकारी सब कुछ जानकर भी आंखें मूदकर बैठे हैं। जनता लुट रही है लुट जाये इससे उन्हें कोई लेना देना नहीं है। बस माल आना चाहिए।