कायमगंज (फर्रुखाबाद) : मुहर्रम के महीने में इसी शहादत को याद करते हुए जगह जगह कार्यक्रम और तैयारियां होती हैं। क्षेत्र में लोगों के जहनों पर हुसैनियत का असर सर्वत्र नजर आ रहा है। और इसके प्रदर्शन के लिए तैयारियां अब भी चल रही हैं। तीजे का अलम उठाने की तैयारी के चलते इस अलम को सजाने और संवारने का काम नगर के मोहल्ला काजम खां में अपने शबाब पर है।
यह अलम यूं तो मंगलवार को उठना है। लेकिन इसकी तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है। हुसैनी कार्यक्रमों की यह तैयारियां इस बात की भी गवाह हैं कि सच की हिफाजत के लिए जान देने वाले कभी नहीं मरते। हुसैन करबला की घटना के चौदह सौ साल गुजर जाने के बाद भी आज करोड़ों लोगों के दिलों में जिन्दा है और आइन्दा भी जिन्दा रहेंगे। हुसैन ने यजीद की खानदानी बादशाहत, तानाशाही को अमान्य तथा अस्वीकार करते हुए जनतंत्र की स्थापना हेतु जो संघर्ष किया था। उसमें अपनी अपने साथियों तथा परिजनों की जानों की कुर्बानी पेश की थी। उसके चलते यजीद जंग जीत कर भी हमेशा हमेशा के लिए हार गया था। हुसैन इस जंग शहीद होकर अमर हो गये। उनकी हुकूमत लोगों के दिलों पर हमेशा के लिए कायम हो गयी। जिसका प्रदर्शन हर साल मुहर्रम के महीने में ताजियों, अलम जुलूसों, मजलिसों में किया जाता है। इसी के तहत कायमगंज में तीजे का अलम उठाने की भारी तैयारी चल रही है। इस सिलसिले में जब इसके कर्ता धर्ता हबीब भाई से पूंछा तो उनहोंने बताया कि यह अलम हुसैन (रजि0) की अजीम शहादत की याद में उनके बुजुर्गों के समय से उठता चला आ रहा है। अब वे इस सिलसिले को चला रहे हैं। वहीं असलम भाई का कहना है कि हमारी अकीदत जनाबे हुसैन से जुडी हुई है। उनके अजीम पैगाम और मिशन को लोगों के सामने रखने के लिए वे यह अलम उठाते हैं। अलम को सजाने और संवारने का काम कारीगर इस वक्त दिन रात कर रहे हैं। ताकि कायमगंज का यह तारीखी अलम अपनी पूरी शानों शौकत के साथ इस साल भी जा सके।