फर्रुखाबाद: घरेलू गैस सिलेण्डर के लिए शहर में मारामारी मची हुई है। आम गैस उपभोक्ता एक एक सिलेण्डर के लिए गैस ऐजेंसियों पर महीनों चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं। लेकिन शहर के अधिकांश होटलों पर पूर्ति विभाग के अधिकारियों व गैस एजेंसी मालिकों की भ्रष्ट कारगुजारी व मिलीभगत के चलते घरेलू गैस सिलेण्डर धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है। वहीं आम उपभोक्ताओं को कृत्रिम किल्लत दिखाकर एजेंसी मालिक महीनों गैस के लिए दौड़ा रहे हैं।
जनपद में भ्रष्टाचार की बात आये और जिला पूर्ति कार्यालय उससे अछूता रह जाये ऐसा समीचीन नहीं लगता। भ्रष्टाचार और जिला पूर्ति कार्यालय का पुराना रिश्ता है। फिर चाहे वह मिट्टी के तेल में कमीशन के नाम पर हो, बीपीएल व एपीएल गेहूं के नाम पर हो, गरीबों की चीनी चावल व दाल के नाम पर हो या फिर गैस आपूर्ति के नाम पर हो, बस कमाई होनी चाहिए। जेब जनता की कटे चाहे गरीब की। इससे भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों को कोई लेना देना नहीं है। जनपद में जहां एक तरफ घरेलू गैस सिलेंडर के लिए आम आदमी त्राहि त्राहि कर रहा है। एक एक सिलेण्डर 900 से 1000 रुपये में उपभोक्ता खरीदने के लिए मजबूर हैं। लेकिन गैस ऐजेंसी मालिकों व जिला आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते अधिकांश होटलों पर घरेलू गैस सिलेण्डर धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है।
जेएनआई द्वारा इसकी हकीकत जनता के सामने लाने के लिए जब शहर के होटलों पर नजर डाली तो अधिकांश होटल मालिक बेखौफ होकर घरेलू गैस सिलेण्डर उपयोग करते मिले। उन्हें पूर्ति विभाग का इतना भी डर नहीं कि कोई छापा मारेगा या अन्य कार्यवाही करेगा। डर हो भी कैसे? पूर्ति विभाग के अधिकारियों द्वारा शहर में तमाम छापेमार कार्यवाही की गयी लेकिन किसी भी मिठाई बनाने वाले या होटल पर छापामार टीम को घरेलू गैस सिलेण्डर नजर नहीं आया।
420 रुपये वाले सिलेण्डर को आम उपभोक्ता इस समय 900 से 1000 रुपये में खरीदकर अपनी जरूरतें पूरी कर रहे हैं। गैस माफिया आम जनता की जेबें काटकर अपनी जेबें भरने में जुटे हुए हैं। लेकिन जनपद के जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंखों में पट्टी बांधकर सब कुछ नजरंदाज करते दिखायी दे रहे हैं।