फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रख्यात समाजवादी विचारधारा में समर्पित डॉ राम मनोहर लोहिया की कर्म स्थली में 9 एम्बुलेंस तो भेज दी मगर डॉक्टर एक भी नहीं भेजा| डॉ राम मनोहर लोहिया के नाम से बने 300 बेड के सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस से आये मरीजो का इलाज कौन करेगा इसका जबाब किसी के पास नहीं है| न जिले के चार में एक भी विधायक के पास, न संसद सदस्य के पास, न जिले से प्रदेश के एक मात्र राज्यमंत्री नरेन्द्र सिंह यादव के पास और न ही जिले के प्रभारी मंत्री शिव कुमार बेरिया के पास| इन चारो के नाम इसलिए लिए गए क्यूंकि ये चारो ही जनता के बीच ये कह कर सदन में गए थे कि वे आम जनता के लिए हर सुख सुविधा का ध्यान रखेंगे| इसी आधार पर जनता ने उन्हें चुना और उन्हें विधायक और सांसद बनाया| मगर बीमार लोहिया अस्पताल जहाँ गाँव देहात से मरीजो को लाने के लिए समाजवादी मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री पुत्र अखिलेश यादव ने 9 एम्बुलेंस तो भेज दी मगर यहाँ जनता का इलाज कौन करेगा, डॉक्टर और दवा तो यहाँ है ही नहीं| एम्बुलेंस मरीज को ला तो सकता है मगर इलाज तो नहीं कर सकता| तो सवाल ये उठता है कि कहीं ये समाजवादी रंग में रंगी एम्बुलेंस केवल मिशन 2014 के लिए चुनाव प्रचार वाहन बन कर रह न जाए|
प्रदेश में सपा की सरकार है और जिले में सपा नेताओ की कोई कमी नहीं है| तीन विधायक, 1 मंत्री| जिलाध्यक्ष से लेकर नगर अध्यक्ष| कई दर्जन नेता जो खुद को अखिलेश और मुलायम का ड्राइंग रूम का सदस्य मानते है| एक दर्जन सपा की अनुषांगिक इकाई| लोहिया वाहिनी, व्यापार सभा, छात्र सभा और न जाने क्या क्या? सभी की जिले और नगर की अलग अलग इकाई| और इन सबमे है सैकड़ो पदाधिकारी| सभी सपा का झंडा लगाने में मशगूल| मगर सब बेकार| डॉक्टर कोई नहीं ला सकता| वैसे डॉक्टर का इंतजाम पिछली मायावती की बसपा सरकार भी नहीं कर पायी| वे भी पांच साल वैसे ही काट गए जैसे इन दिनों समाजवादी पार्टी वाले काट रहे है| इंतजाम हो रहा है, जल्द डॉक्टर आयेंगे| कब आयेंगे इसका जबाब किसी के पास नहीं| मायावती की सरकार में तो स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्र तो फर्रुखाबाद से ही चुन कर पहली बार विधान सभा में प्रवेश कर पाए| मगर जाते जाते भ्रष्टाचार के आरोपों से दामन जरुर दागदार हुआ मगर डॉक्टर और दवा का इंतजाम वे भी नहीं कर पाए| हाँ प्रदेश और प्रदेश के बाहर करोडो की कंकर पत्थर की इमारतों का इंतजाम अपनी पीड़ियो के लिए वे भी कर गए| आम आदमी को कुछ न दे सके|
समाजवादी एम्बुलेंस को झंडी दिखा कर रवाना करने वाले मंत्री नरेन्द्र सिंह यादव के पास भी लोहिया में डॉक्टर नहीं पर कोई जबाब नहीं होगा| क्यूंकि डॉक्टर सरकार को मिलते नहीं| और जो मिलते हैं वे मंत्रियो और सरकारी बड़े अफसरों का इलाज तो मुफ्त में करते है मगर जब आम जनता की बारी आती है तो प्राइवेट (घर पर पैसा लेकर) देखते है| ये आमतौर पर सामान्य घटना है जिसके लिए किसी साक्ष्य की जरुरत नहीं| हालाँकि जिले के प्रभारी मंत्री शिव कुमार बेरिया इसे नहीं मानेगे उन्हें तो लिखित में शिकायत चाहिए| मानो लिखित शिकायत के बाद वे अभी सब सुधार देंगे|
बात डॉ राम मनोहर लोहिया के नाम से बने सरकारी जिला अस्पताल की जिसकी क्षमता 300 बेड की है| मुलायम सिंह यादव ने 1995 में इसका उदघाटन किया था तब से लेकर आज तक इस अस्पताल को 17 साल में जितने डॉक्टर की जरुरत थी कभी नहीं मिले| इस अस्पताल में कुल 18 डॉक्टर की जरुरत है मगर हैं केवल 6, जिसमे से कुछ छुट्टी पर चले जाते है तो कुछ अस्पताल की बजाय घर पर मरीज देखना ज्यादा पसंद करते है| अस्पताल नए बहुत से बन गए| हर ब्लाक में सरकारी अस्पताल का भवन बन गया| कुछ कहते है कि निर्माण विकास की निशानी है| विकास कमीशन का या जनता का| नए अस्पताल के निर्माण में कमीशन मिलता है, नए डॉक्टर की नियुक्ति में कोई कमीशन नहीं मिलता| पुलिस की भर्ती में भी कमीशन मिलता है| मगर डॉक्टर की भर्ती में कमीशन नहीं मिलता| ये कडुआ सच है| तो बिना कमीशन वाला काम और योजना क्यूँ बनायीं जाए| इस सवाल का जबाब हर समाजवादी को देना चाहिए|
तो सवाल लाख टके का है| एम्बुलेंस का प्रचार मोहल्ले मोहल्ले किया जा रहा है| स्थानीय अख़बार में उसके प्रचार की फोटो आज छपी है| ये प्रचार समाजवादी एम्बुलेंस का है| मगर ये एम्बुलेंस मरीज को कहाँ ले जाएगी इसका प्रचार नहीं होता| दरअसल ये एम्बुलेंस डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल से मरीजो को आस पास के प्राइवेट अस्पतालों में ले जाने के लिए ज्यादा काम आएँगी क्यूंकि लोहिया में तो डॉक्टर और दवा दोनों का अभाव रहेगा ही|