फर्रुखाबाद: प्रदेश में शुरू किया गया तहसील दिवस आम जनता की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए बना था। जिसका मकसद दूर दराज से आने वाले नागरिकों को शिकायत का समाधान एक ही कमरे के अंदर मिल जाये। फिर चाहे वह समस्या किसी भी विभाग की हो। जिलाधिकारी से लेकर पदेन सभी प्रशासनिक अधिकारी तहसील दिवस में समस्या के निस्तारण हेतु बैठने का कानून पास किया गया। लेकिन आम जनता को संतुष्टि नहीं मिल पा रही है। अव्वल तो तहसील दिवस पर आम शिकायत कर्ता का आवेदन पत्र पंजीकृत ही नहीं किया जाता है। फिर तहसील दिवसों में आने वाली शिकायतों में जनता को त्वरित निस्तारण न देकर मामले को लंबित कर दिया जाता है। पुनः जांच उसी व्यक्ति के हाथ में जाती है जिस अधिकारी या कर्मचारी से वह व्यक्ति पीड़ित था। जिसका उदाहरण मंगलवार को तहसील दिवस में देखने को मिला। वैसे तो लगभग तीन सौ फरियादी अपनी समस्यायें लेकर आये परंतु वास्तव में मात्र 60 शिकायतकर्ताओं की ही शिकायतें तहसील दिवस में पंजीकृत की गयी। जिसमें से निस्तारण महज तीन लोगों का ही हो सका।
समस्या चाहे कितनी बड़ी हो हर समस्या का समाधान मौजूद है और यदि समस्या का समाधान मौजूद है। इस समस्या का समाधान न किया जाये तो वह व्यक्ति या विभाग खुद एक समस्या बन जाता है। पुलिस, बिजली, नलकूप, राजस्व, विकास, ग्राम पंचायत हर जगह से अपने अधिकार के लिए लड़ने वाला व्यक्ति जब इन कार्यालयों के चक्कर काट काट कर परेशान हो जाता है तो उसे फिर एक ही रास्ता दिखाई पड़ता है, तहसील दिवस। लेकिन जब हकीकत से व्यक्ति रूबरू होता है तो उसके नीचे से पायेदान खिसक जाता है। काफी दूर दराज से आने वाले व्यक्ति अपने प्रार्थनापत्र को तहसील दिवस में देते हैं, वहीं सम्बंधित अधिकारी उन्हें न्याय न देकर मामले को लंबित डाले रखते है। शिकायतकर्ता अपना सा मुहं लेकर वापस चले जाते हैं। मजे की बात तो यह है कि तहसील दिवस में वरिष्ठ अधिकारियों तक शिकायत न पहुंच पाये इसके लिए तहसील कर्मचारी सभागार के मुख्य गेट पर ही खड़े होकर शिकायतकर्ता के हाथ से प्रार्थनापत्र लेकर उसी अधिकारी को दे देते हैं जिस अधिकारी द्वारा वह पीड़ित किये जाने की शिकायत लेकर वह आया था।
मंगलवार को तहसील में आयोजित तहसील दिवस में एसडीएम भगवानदीन वर्मा ने फरियादियों की शिकायतें सुनीं लेकिन नतीजा क्या निकला, ढाक के वही तीन पात। मंगलवार को सदर तहसील में राजस्व के २१, पुलिस से सम्बंधित १०, के अलावा कुल ६० प्रार्थनापत्र आये। लेकिन कुल ३ ही लोगों को जनता दरबार में न्याय मिल सका। ५७ फरियादी अपने प्रार्थनापत्र लेकर बैरंग लौट गये। यह हाल मंगलवार के तहसील दिवस या न ही एक तहसील का है। जनपद में अमृतपुर, कायमगंज तहसीलों का भी हाल यही है। हर जगह फरियादी की गुहार को सम्बंधित अधिकारी अपने फाइलों के नीचे दबाकर बैठ जाता है। जिन शिकायतों का निस्तारण किया भी जाता है उन्हें तोड़ मरोड़ कर इतिश्री कर दी जाती है।