स्पेशल रिपोर्ट- बचपन और भ्रष्टाचार दोनों हैं जवानी की दहलीज पर

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जम्मू रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर तीन की बुक स्टाल पर “अन्ना हजारे- नए युग के क्रन्तिकारी” पुस्तक की सबसे अधिक बिक्री होते देख मन नहीं माना और एक प्रति ले ही ली| पिछले 26 सालो से इस स्टेशन पर आना जाना है| कभी बचपन में इसी ए-एच-व्हीलर की दुकानों पर मधु मुस्कान, चाचा-चौधरी जैसी कामिक्स या फिर धर्मयुग खरीदता था मगर अब इस स्टाल पर कामुकता की किताबे या फिर अन्ना हजारे की बिक्री ज्यादा हो रही है| बहुत कुछ बदल गया 26 साल में| ऐसा लगा भ्रष्टाचार के साथ-साथ मैं भी बड़ा हो गया| तब इंदिरा की सरकार थी अब इंदिरा की बहू की सरकार है| पूरी एक पीड़ी का फरक| 7 दिन की कश्मीर यात्रा में हर जगह एक जैसा भारत दिखाई पड़ा| क्या रेल, क्या बस और क्या ढाबे पर हर जगह अन्ना, अरविन्द, भाजपा, कांग्रेस, वाड्रा, पवार, राजा, गडकरी और भ्रष्टाचार की चर्चा होते मिली| पहली बार भ्रष्टाचार पर चर्चा से लगा “भारत एक है”|

जम्मू कश्मीर के रजवाड़े की रियासत के एक वाशिंदे आजाद शत्रु को छोड़ बाकी सब दिल्ली में डेरा डाले है| महाराजा हरी सिंह के पुत्र महाराजा कर्ण सिंह और उनके पुत्र, शेख अब्दुल्ला के पुत्र फारूक अब्दुल्ला सबको दिल्ली पसंद आई| कुछ पिछले दरवाजे से संसद में दाखिल है तो कुछ सामने के दरवाजे से| एक परिवार कांग्रेस के साथ झूले की पैंग बढ़ाता है तो दूसरा (पैंथर पार्टी के भीम सिंह) भाजपा के साथ| सबकी कहानी जुदा मगर एक जैसी| मगर आम आदमी की कहानी एक जैसी ही है| एक बार नेशनल कांफ्रेंस तो दूसरी बार पैंथर पार्टी| अदल बदल कर एक जैसा काम|

सुखदेव जम्मू कश्मीर के उधमपुर जिले के एक बेनाम से गाँव का वासी है| चार महीने वैष्णो देवी मंदिर आकर “पिट्ठू” (पहाड़ो पर सैलानियो का सामान ढोने वाला) का काम करता है| 4 महीने गाँव में रहता है जिसमे 4 महीने (बर्फ़बारी के दिनों में) केवल खाता और सोता है| सुखदेव बताता है कि उसके पास मनरेगा का जाब कार्ड है जिसमे उसे 100 दिन काम मिल जाता है मगर 122 .00 रोज की मजदूरी इतनी कम है कि परिवार की रोटी नहीं चल सकती| वो रियासी जिले के कटरा तहसील में माता वैष्णो देवी आने वाले श्रधालुओं का सामान ढोता है, यहाँ उसे 4 महीने में खाना खर्चा के बाद 20000 रुपये बच जाते है| एक सवाल के जबाब में सुखदेव बताता है कि “गाँव के सरपंच के खेतो में काम के बदले उसे मनरेगा की मजदूरी मिलती है”| ये बात तो गलत है पर सुखदेव जबाब देता है- क्या करोगे भाई साब ऊपर से लेकर नीचे तक सब भ्रष्ट है| सब पैसा नेता खा रहा है| सब नेता मजे कर रहे है|

कश्मीर में सैलानियो की संख्या सर्दी बढ़ने के साथ कम हो रही है| घाटी शांत है| दशहरे की छुटियों में भी सैलानी बहुत नहीं दिखे| गर्मियो में शिकारे वालों ने खूब आमदनी कर ली| कुछ दिन में झील जम जाएगी| बच्चे इस पर क्रिकेट खेलते नजर आयेंगे| बचपन जवान होगा| मगर भ्रष्टाचार की चर्चा अब तक जवान हो चुकी है| वो घर की देहरी से बाहर झाँकने लगी है| दूसरी तरफ आम आदमी की गरीबी और बेबसी भी जवान हो चली है| ऐसा लग रहा है कि दोनों के मिलन के दौर आ चुका है| हाथिओं को चीटी से चिंता होने लगी है| बस में पंजाब के मुक्तसर से कारोबारी जरनैल सिंह बग्गा और उनको पत्नी रेनू कौर और हमारे परिवार के बीच सारे रस्ते सिर्फ एक चर्चा होती रही अरविन्द और अन्ना कुछ कर सकते है| बाकी नेता तो सब पैसा कमाने के लिए एमपी, एमएलए बनते है| पहली बार दिखा कि महिलाएं सफ़र में घर परिवार और सासों की चर्चा करने की जगह घर की दहलीज से बाहर निकल चुकी है|

जालंधर पहुचते-पहुचते नेताओ के लिए अशील शब्दों के प्रयोग होने का शोर सुनाई पड़ा| बगल के कूपे में कुछ फौजी भाई अपने गाँव लौट रहे थे| मगर एक कह रहा था- ये सास्-ला गडकरी और पवार तो सबका बाप है| एक ने बताया कि वो जब नागपुर में था तब उसे पता चला कि पवार तो महाराष्ट्र का सबसे बड़ा किसान माफिया है| हेलीकाप्टर से अपने गन्ने के खेत और चीनी मिली का केवल हवाई दौरा कर पाता है| ये गडकरी तो मात्र अभी चूहा है उसके सामने| पटेल, पवार और गडकरी सब चोर है| इन सबको बार्डर पर भेज दो| हमें चोरो की सुरक्षा करनी पड़ रही है| जर्नल साहब (अभी अभी जो रिटायर हुए है) को अब खुल कर आना चाहिए| और वो सलमान बताओ ….|

फिर वापस लौटते हुए सहारनपुर , मुरादाबाद, बरेली हर जगह एक जैसी बोली हो गयी है| भ्रष्टाचार के खिलाफ बोली| इस विषय पर चर्चा में न भाषा का झंझट और न छोटे बड़े का अंतर| कलकत्ता के बुजुर्ग गली खान को भी इसी मुद्दे पर चर्चा करने में मजा रहा था| लग रहा था अब मेरे पके बाल की तरह भ्रष्टाचार से भी आम आदमी पक गया है| बचपन खुश हो रहा है उसके जवान होने तक कुछ नया होने की आशा में खुल कर खिलखिला रहा है|
(कश्मीर ले लौट कर- भाग १)