डेंगू एक वायरस से होने वाली बीमारी है। इस वायरस का संक्रमण एडीज प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है। खास बात यह है कि डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर गंदे पानी की बजाय साफ पानी में पनपता है। इसलिए गमलों, कूलरों, टायर आदि में एकत्रित हुए पानी में यह मच्छर ज्यादा पाया जाता है।
डैंगू रोग फैलने लक्षण
1 तेज बुखार और शरीर पर लाल चकत्ते प़ड़ना।
2 सिर, हाथ-पैर और बदन में तेज दर्द।
3 भूख न लगना, उल्टी-दस्त आदि की शिकायत होना।
डेंगू बुखार के लक्षण आम बुखार से थोड़े अलग होते हैं। बुखार बहुत तेज़ होता है। साथ में कमज़ोरी हो जाती है और चक्कर आते हैं। कई लोगों में चक्कर आने से बेहोशी भी देखी गई है। ऐसे में मुंह का स्वाद बदल जाता है और उल्टी भी आती है। सरदर्द, पीठ में दर्द और बदन दर्द भी होता है। कई लोगों को त्वचा पर रैशेज़ भी हो जाते हैं।
अक्सर बुखार होने पर लोग घर पर क्रोसिन जैसी दवाओं से खुद ही अपना इलाज करते हैं। लेकिन डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर थोड़ी देर भी भारी पड़ सकती है। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और प्लेटलेट्स काउंट चेक कराएं। डेंगू बुखार पाए जाने के बाद भी कई लोग घर में रहकर ही अपनी प्लेटलेट काउंट, ब्लड प्रेशर वगैरह नाप कर इलाज करना पसंद करते हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक घर में इलाज करते हुए कुछ खास चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए। अगर पानी पीने और कुछ भी खाने में दिक्कत हो और बार-बार उल्टी आए तो डीहाइड्रेशन का खतरा हो जाता है। ये लिवर एन्ज़इम्स में गड़बड़ का सूचक होता है। प्लेटलेट्स के कम होने या ब्लड प्रेशर के कम होने या हीमाटाइट यानी खून का घनापन बढ़ने को भी खतरे की घंटी मानना चाहिए। साथ ही अगर खून आना शुरू हो जाए तो तुरंत अस्पताल ले जाना अनिवार्य हो जाता है।
डैंगू से बचने के उपाय
गर्मी के बाद बदलता मौसम बारिश की बूंदों की आहट के साथ आता है। और मॉनसून के बाद जब मौसम दोबारा करवट लेता है तो ठंडी हवाओं की मीठी चुभन लेकर आता है। लेकिन बदलते मौसम की इन खुशनुमा घड़ियों में ही छुपी हैं कई बीमारियां। इस बदलते मौसम में पनपता है एडीज मच्छर जो अपने साथ फैलाता है डेंगू बुखार। और ये बुखार इतना खतरनाक हो सकता है कि मरीज़ की जान ले ले। मलेरिया के उलट, इसके मरीज ग्रामीण इलाकों से ज्यादा शहरों और कस्बों में नजर आते रहे हैं। यह मच्छर ज्यादातर सुबह-सुबह या शाम को काटते हैं। ये ज्यादातर घर के अंदर या बाहर बिना धूप वाली जगह पर पनपते हैं। वैसे तो, इनका इंक्यूबेशन पीरियड यानी अंडों के पूरी तरह डिवेलप होने का समय 3-15 दिन है, लेकिन ज्यादातर मामलों में ये 5-6 दिन में ही शिकार के लिए तैयार हो जाते हैं।
1 डेंगू का मच्छर दिन के समय ही काटता है इसलिए दिन में अपने आपको मच्छरों से बचाएँ।
2 बरसात के समय फुल बाहों वाली शर्ट और जूते जरूर पहनें।
3 घर में कूलर, गमलों आदि का पानी हर हफ्ते बदलते रहें।
4 अपने घर के आसपास के गड्ढों में लार्वाभक्षी मछलियाँ डालें। यह मलेरिया कार्यालय में निःशुल्क उपलब्ध हैं।
5 मच्छरदानी को भी दवा से उपचारित कराएँ।
6 घर में पानी की टंकियों को अच्छी तरह से ढँक दें।
7 डेंगू के मरीज को भी ठीक होने तक मच्छरदानी लगाकर रखें, ताकि मच्छरों में इसका वायरस न पहुँच पाए।
8 डेंगू का वायरस स्वाइन फ्लू की तरह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं फैलता। यह मच्छर के माध्यम से ही फैलता है।
डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर थोड़ी देर भी भारी पड़ सकती है। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और प्लेटलेट्स काउंट चेक कराएं।
एडीज मच्छर है डेंगू की मुख्य बजह
मौसम में परिवर्तन होते ही डेंगू के मरीजों की संख्य लगातार बढ़ने लगती है। बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में अलग से वॉर्ड बनाए गए हैं जिससे इलाज में सावधानी बरती जा सके।
डेंगू बुखार होने पर सफाई का ध्यान रखने की जरूरत होती है। इलाज में खून को बदलने की जरूरत आती है इसलिए अस्पताल में रहने से सुविधा होती है। ये बुखार हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन छोटे बच्चों और बुजुर्गों को ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है। साथ ही दिल की बीमारी के मरीज़ों का भी खास ख्याल रखने की ज़रूरत होती है। ये बुखार युवाओं में भी तेज़ी से फैलता है क्योंकि वो अलग-अलग जगह जाते हैं जिस वजह से उनका एक्सपोज़र ज़्यादा होता है।
डेंगू बुखार के लक्षण अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते है। इसीलिए शुरूआत में डेंगू को पहचानना मुश्किल होता है। लेकिन जैसे-जैसे ये बुखार शरीर में फैलता जाता है इसके लक्षण भी अन्य बीमारियों से अलग दिखलाई पड़ते रहते है। हालांकि डेंगू बुखार से व्यलक्ति की त्वशचा ठंडी पड़ जाती है।