फर्रुखाबाद: दशानन रावण जिसका नाम सुनने वाला व्यक्ति त्रेता युग की तरफ मुड़ जाता है। जिसने अपने प्रताप और बाहुबल से तीनो लोकों पर विजय प्राप्त कर ली थी और मां सीता को छल से चुराकर लंका ले जाने के बाद भगवान राम के युद्ध में मोक्ष को प्राप्त कर लिया। जिसके लिए आज भी रावण का पुतला जगह जगह फूंक कर लोग असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक दशहरे का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष कारीगरों ने रावण की लम्बाई को 10 फुट बढ़ा दिया है। कुल मिलाकर रावण अब 50 फुट का हो गया है। जो मंगलवार को क्रिश्चियन कालेज फील्ड में अपने भाई व पुत्र के साथ खड़ा दिखायी देगा।
फर्रुखाबाद शहर के रावणवध या यूं कहें कि दशहरा का विशेष महत्व है। जहां दूर दूर से लोग रावण वध देखने के लिए आते हैं। इस बार रामलीला कमेटी के लोगों ने रावण का पुतला बनाने के लिए विशेष तौर से कारीगर बुलाये हैं। रावण व उसके परिजनों के पुतले बनाने के लिए एक दर्जन कारीगर तकरीबन एक माह से पुतले बनाने का काम कर रहे हैं। अगर बात करें सिर्फ रावण के पुतले की तो रावण के पुतले में ही 25 कोड़ी बांस का प्रयोग किया गया है। एक सैकड़ा से अधिक धमाकेदार पटाके रावण के सीने को चीरने के लिए लगाये गये हैं। उसके चेहरे पर विशेष तरीके का कागज व अवरी का प्रयोग किया गया है। कारीगरों को खासी मसक्कत करने के बाद तकरीबन एक माह से अधिक समय लगाने के बाद रावण का पुतला बनकर तैयार हो चुका है। 50 फुट की लम्बाई के चलते रावण के पुतले को अलग अलग जगह रखा गया है। 10 हाथ अलग बनाये गये। धड़ अलग बनाया गया और खाली सर बनाने में कारीगरों को एक सप्ताह का समय लग गया। रावण का चेहरा तैयार होने के बाद वह बाकई में देखने लायक तैयार हुआ है। जिसे कई लोग मिलकर भी सीधा करने में असमर्थ नजर आये। कई किलो बजनी रावण के सिर, धड़ व हाथों को मंगलवार को जोड़कर रामलीला मैदान में दहन के लिए तैयार कर दिया जायेगा। साथ में कुम्भकरण व मेघनाथ के पुतले को भी 40 फुट की ऊंचाई दी गयी है।