जर्जर भवन में बिना टाट पट्टी शिक्षा पा रहे गलारपुर के मासूम छात्र

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फर्रुखाबाद: वैसे तो प्रदेश स्तर पर ही बेसिक शिक्षा का बुरा हाल है। पूरे प्रदेश में बेसिक शिक्षा अध्यापकों की कमी के चलते वेंटीलेटर पर चल रही है। लेकिन जनपद का हाल पूरे प्रदेश से खस्ताहाल है। जनपद के अधिकांश बेसिक स्कूलों में बच्चों के बैठने को टाट पट्टी जैसी जरूरी चीजें तक नहीं है। अधिकांश विद्यालयों में अभी तक बाउंड्रीबाल नहीं बनवायी गयी है। इसी का खुलासा करने के लिए जब जेएनआईटीम द्वारा विकासखण्ड राजेपुर क्षेत्र के ग्राम गलारपुर में जाकर देखा तो यहां पर बच्चे बिना टाट पट्टी के जर्जर भवन के इर्द गिर्द जमीन पर बैठे मिले।

गलारपुर प्राथमिक विद्यालय में 1960-65 में भवन बनवाया गया। जोकि अब काफी जर्जर हो चुका है। हल्की बरसात होने पर भी विद्यालय भवन जगह जगह टपकने लगता है। जिससे बरसात के अधिकांश दिनों में बच्चों की छुट्टी ही रहती है। वहीं विद्यालय के प्रधानाध्यापक अर्चना बरतरिया ने बताया कि गांव में सोमवार व शुक्रवार को लगने वाले बाजार की दुकानें स्कूल की जगह में लगा ली जाती हैं। जिससे इन दोनो दिनों में बच्चों की पढ़ाई बाधित हो जाती है। बच्चों के टाटा पट्टी की व्यवस्था पूर्व प्रधानाध्यापक द्वारा नहीं की गयी जबकि इसके लिए रुपये निकाल लिये गये। विद्यालय में कुल 155 बच्चे पंजीकृत हैं जिनमें से 140 से 135 बच्चों की उपस्थिति तो हो जाती है लेकिन उनके बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है।

वहीं शुक्रवार को एसडीएम के औचक निरीक्षण के दौरान भी बाउंड्रीबाल न होने व जर्जर भवन की समस्या को रखा गया। लेकिन उन्होंने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। इससे यह इंगित होता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी भी बेसिक शिक्षा में सुधार के लिए कटिबद्ध नहीं दिख रहे हैं। अव्यवस्था व अनदेखी के चलते गरीबों के बच्चों को शिक्षा के नाम पर ठगा जा रहा है। कोई भी अधिकारी इन बेसिक स्कूलों में अपने बच्चे को पढ़ने के लिए एक दिन के लिए नहीं भेज सकता। लेकिन गरीबों के बच्चों का भविष्य इन्हीं जर्जर बेसिक स्कूलों में टिका हुआ है लेकिन अधिकारियों व शिक्षकों की लापरवाही से नौनिहालों का भविष्य चौपट होता दिखायी दे रहा है।

केन्द्र व प्रदेश सरकार 100 प्रतिशत साक्षरता लाने के प्रयास के चलते करोड़ों रुपया पानी की तरह बहा रही है लेकिन अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षक मिलकर सरकार की योजनाओं पर पानी फेरते जा रहे है। चाहे वह मिड डे मील हो, आंगनबाड़ी की पंजीरी व अन्य सामान हो, विद्यालय मेंटीनेंस हो सभी में भारी गोलमाल किया जा रहा है। जिसको जिम्मेदार अधिकारी देखकर भी अनदेखा किये हुए हैं। यही कारण है कि जनपद व प्रदेश में बेसिक स्कूलों की शिक्षाव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।