फर्रुखाबाद: केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद इस बार काफी दिनों के अपने निर्वाचन क्षेत्र फर्रुखाबाद लौटे थे। मीडिया से रूबरू होने के दौरान काफी देर तक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मुददों पर एक तरफा संवाद के बाद वह जैसे तैसे सवालों के दायरे में आये। जेएनआई ने उनसे अपने लोक सभा सांसद के तौर पर कार्यकाल की उप्लब्धियों के विषय में सीधा सवाल पूछा तो उनके पास कोई सीधा जवाब नहीं था। हां, खीज मिटाने को वादों का एक लंबा पुलिंदा उन्होंने जरूर थमा दिया, जैसा कि वह हमेशा करते आये हैं।
सलमान खुर्शीद और उनका परिवार राष्ट्रीय स्तर पर जनपद फर्रुखाबाद के राजनैतिक इतिहास का एक ऐसा सुनहरा भाग है, जिसकी चमक से आंखे चौंधिया तो सकती हैं, पर उजाला नहीं किया जा सकता। नाना डा. जाकिर हुसैन हों, पिता खुर्शीद आलम खां हों सा स्वयं सलमान खुर्शीद हों। राष्ट्रीय स्तर पर पहचान व अहमियत के नाम पर फर्रुखाबाद इनपर हमेशा गर्व कर सकता है। परंतु आम आदमी को इनका लाभ कभी नहीं मिल सका। इस मामले में खुर्शीद आलम खां के नाम पर कालिंदी एक्सप्रेस व कंपिल कताई मिल को गिना जा सकता है। परंतु दो दो बार यहां से लोकसभा सांसद रह चुके सलमान के पास गिनाने के लिये अपना कुछ भी नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के लिये आगामी लोक सभा चुनाव का खाका बुनने वाली कोर कमेटी के सदस्य सलमान खुर्शीद के पास अपने लोक सभा क्षेत्र के लिये किसी उप्लब्ध्िा को गिनाने की नौबत आयी, तो लाजवाब हो गये। बेचारे करते भी क्या? आज तक केवल वादे ही तो किये हैं। कभी बिजलीघर लगवाने का, कभी आलू से शराब बनाने का कारखाना लगवाने का। कभी नवाबगंज में बैंबू प्रोजक्ट, कभी डा. जाकिर हुसैन के नाम पर अस्पताल।
इस बार एक नया ‘शोशा’ लाये हैं। उनके साथ में एक ‘अंजली जी’ भी आयी हैं। बताते हैं कि अंजली जी जरदोजी व छपाई के उद्योग से जुड़ी हैं। अपने एक अन्य दोस्त रिजवान साहब का भी उन्होंने जिक्र किया, जो कि सउदीअरब से जरदोजी के आर्डर लायेंगे। कोरे वादे। वादे हैं, वादों का क्या?
…….तेरे वादे पे जिये हम तो यह जान कि झूठ जाना, कि खुशी से मर न जाते गर एतबार होता।