सीबीआइ डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सरकार पर दखलअंदाजी के लगाए गंभीर आरोप

FARRUKHABAD NEWS POLICE Politics Politics-BJP जिला प्रशासन राष्ट्रीय

नई दिल्ली:सीबीआइ का अंदरूनी विवाद अब जगजाहिर हो गया है और इस झगड़े में आरोपों के छींटे सरकार के दामन तक पहुंच गए हैं। इसकी वजह आलोक वर्मा का खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले का विरोध करना और सुप्रीम कोर्ट चले जाना तो है ही साथ ही सुप्रीम कोर्ट में आलोक वर्मा ने याचिका में सीधे मौजूदा सरकार पर जांच में दखल देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
आलोक वर्मा ने याचिका में लिखा है कि सीबीआइ एक स्वायत्त संस्था के तौर पर काम करना चाहती है लेकिन बहुत से ऐसे मौके आए हैं जब हाईप्रोफाइल केसों में जांच की दिशा सरकार अपनी मर्जी से तय करना चाहती थी। वर्मा ने याचिका में ये भी कहा है कि जिस केस का हवाला देकर उन्हें छुट्टी पर भेजा गया है वह एक संवेदनशील मामला है और कई संवेदनशील मामलों से जुड़ा है।
वर्मा ने इस पूरे मामले में सरकार के अलावा सीबीआइ के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर भी आरोप लगाए हैं। वर्मा के मुताबिक पहले तो लंबित मामलों को नजरअंदाज कर अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर नियुक्त किया गया। ऊपर से जब से अस्थाना, डायरेक्टर नियुक्त हुए हैं, वे मामलों की जांच की दिशा आश्चर्यजनक रूप से खुद ही तय करते हैं। वर्मा का आरोप है कि अस्थाना कई उन संवेदनशील मामलों की भी जांच कर रहे हैं जो कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
याचिका में लिखा है कि अस्थाना को सीबीआइ डायरेक्टर वर्मा के खिलाफ मनगढ़ंत सबूत बनाते पाया गया और उन पर मुकदमा भी दर्ज किया गया। जिसे कि अस्थाना ने 23 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इसके अलावा 23 अक्टूबर को ही कुछ और फैसले लिए गए जिनमें वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला और नागेश्वर राव की अंतरिम डायरेक्टर के तौर पर नियुक्ति का फैसला शामिल है।
ये है वर्मा की मांग
याचिका में वर्मा ने उन्हें जबरन छु्ट्टी पर भेजे जाने वाले ऑर्डर को रद करने की मांग की है। वर्मा ने आरोप लगाया है कि इस ऑर्डर को पास करने में संविधान के कई प्रावधानों को अनदेखा किया गया है।
कौन हैं आलोक वर्मा
आलोक वर्मा 1979 बैच के आइपीएस अधिकारी हैं। उन्हें करीब 35 साल इस सेवा में हो चुके हैं। वर्मा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं। जनवरी, 2017 में वर्मा को सीबीआइ का डायरेक्टर नियुक्त किया गया था।