संसद हमले में शहीद हुई थी फर्रुखबाद की बेटी व कन्नौज की बहू कमलेश कुमारी

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फर्रुखाबाद:(दीपक-शुक्ला)संसद हमले की 17वीं बरसी पर देश शहीदों को याद कर रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि शहीदों की वीरता को देश सदैव याद करेगा। आपको बताते चले की संसद में जो लोग शहीद हुए उनमे जनपद फर्रुखाबाद का नाम रोशन करने वाली साहसी कमलेश कुमारी भी थी| जिसने शहीद होकर देश की सबसे बड़ी पंचायत को बचाया ही साथ ही साथ फर्रुखाबाद का नाम भी संसद की दीवार पर हमेशा की लिए दर्ज करा दिया|
शहर के ग्राम नरायनपुर निवासी राजाराम के घर में पैदा हुई कमलेश कुमारी बचपन से ही होनहार थीं। कुछ कर गुजरने की तमन्ना और सकारात्मक सोच कमलेश के अंदर कूट कूट कर भरी हुई थी। अपने साथ साथ अन्य भाइयों का भी वह पूरा मार्गदर्शन किया करतीं थीं। जवान हुईं कमलेश के पिता राजाराम को उनकी शादी की फिक्र सता रही थी तभी उन्हें एक अच्छा रिश्ता हाथ लगा। पड़ोसी जनपद कन्नौज के सिकंदरपुर छिबरामऊ निवासी किशोरीलाल के पुत्र अबधेश के साथ शादी की बात पक्की हो गयी। दोनो जनपद यह नहीं जानते थे कि एक दिन फर्रुखाबाद की बेटी और कन्नौज की बहू राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के लिए आदर्श बनेगी। खैर सन 1988 में अपने हाथों में मेहंदी सजाकर कमलेश अनेक तमन्नायें लिए अपनी ससुराल सिकंदरपुर आ गयीं। लेकिन शादी होने के बाद भी उनके सपनों व कुछ कर गुजरने की तमन्ना में फर्क नहीं पड़ा। 6 वर्ष बाद आखिर कमलेश को एक रास्ता नजर आया, जिसका उन्होंने बचपन से ही सपना देखा था। फतेहगढ़ में सन 1994 में सीआरपीएफ की भर्ती हुई तो वह अपने पति अबधेश के साथ अपने मायके नरायनपुर पहुंची और पिता राजाराम से सेना में भर्ती होने की इच्छा प्रकट की। पिता ने उनकी इस इच्छा का समर्थन किया और उसी दौरान कमलेश सेना के सुरक्षा बेडे में शामिल हो गयीं। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद उन्हें संसद की सुरक्षा में लगाया गया। जहां वह अपने पति अबधेश व दो पुत्रियों स्वेता व ज्योती के साथ विकासपुरी कालोनी दिल्ली में रहने लगीं थीं।
अचानक 13 दिसम्बर 2001 को संसद भवन की खामोशी में गोलियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। पेड़ों पर बैठे पच्छी दहशत में ऊंचे आसमान पर दौड़े, सड़कों पर अफरा तफरी थी, हर तरफ गोलियां चलने की आवाजें आ रहीं थीं। जैस ए मोहम्मद आतंकी संगठन ने संसद भवन पर हमला बोल दिया। घटना को अंजाम देने आये अफजल गुरू के साथ एस आर गिलानी, अफसान गुरू, शौकत हसन गुरू आदि आतंकियों ने संसद को चारों तरफ से घेरा हुआ था। आखिर इन आतंकियों में से किसी एक की गोली कमलेश के शरीर में आ धंसी और वह बीरगति को प्राप्त हो गयी।