फर्रुखाबाद: लोकतंत्र के उत्सव में मतदान की आहूति हो गई। प्रत्याशियों के भाग्य मतपेटियों में कैद हो गए। अब यह मतगणना के बाद ही पता चलेगा कि कौन जीता कौन हारा। रविवार को मतदान के बाद विभिन्न दलों के समर्थक व प्रत्याशी के साथ ही आम जन जीत हार के कवायद में उलझ गये। चौराहों व कस्बों में चाय की दुकानों पर लोग किसका पलड़ा भारी रहा? कौन चुनावी गणित के हिसाब से जीत रहा है के हिसाब लगाने में जुट गए। हालांकि इस चुनाव में मतदाताओं के रुझान ने कईयों की गणित फेल कर दी, मगर अपने मतदाताओं पर महारथियों को पूरा विश्वास है।
चुनाव जब रंग पर चढ़ा तो लगा कई दिग्गज अपने विजय को लेकर निश्चिंत होने लगे, मगर मतदाताओं की चुप्पी ने समर्थकों को बेचैन कर दिया। मतदान से एक दिन पूर्व चुनाव को प्रभावित करने वाले तमाम कारकों ने चुनावी गणितज्ञों की हवा निकाल दी। मतदान के बाद भी मतदाता कुछ भी बोलने से गुरेज कर रहे हैं, जिससे अब भी महारथियों की गणित सुलझ नहीं पाई है। फिलहाल नेताओं की गणित पर मतदाताओ की चुप्पी भारी पड़ रही है। सभी उहापोह में हैं। हार जीत के समीकरण को लेकर चौराहों व कस्बों में चर्चाओं का बाजार गरम है कि आखिर कौन जीतेगा? किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा।
मतदाताओं ने हौसले बुलंद कर मतदान करने के बाद अब दुकानों पर चाय की चुस्की के साथ गुणा गणित करने लगे है। लोग ने भारी उत्सुकता के साथ अपने सगे से संबंधियों से मोबाइलों के माध्यम से मतदान का हाल चाल लेना दौर शुरु कर दिया है तथा प्रत्याशी समर्थक अपने अपने तरीके से चुनाव की जीत अपने पक्ष में करने लगे है। कई बार बात चीत के दौरान आपस में लोग अरोप प्रत्यारोप करने के साथ तू तू मै मै करने को तैयार हो जाते है|