लाजबाब है सेन्ट्रल जेल अधीक्षक का हवेली जैसा आलीशान बंगला!

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फर्रुखाबाद:(दीपक शुक्ला)सेन्ट्रल जेल फतेहगढ़ के अधीक्षक का बंगला बड़ी हबेली से किसी भी मायने में कम नही है| कहा जाता है जिस तरह का आवास केन्द्रीय कारागार अधीक्षक का बना है उस तरह का आवास पूरी यूपी में किसी अफसर का सरकारी आवास नही है| यह आवास इस लिए और खास है कि अंग्रेजी शासन काल में अंग्रेजो के जुल्मों और क्रांतिकारियों के जज्बे को यह बंगला अपनी जद में समेंटे हुए है| यह गंगा-जमुनी तहजीब का भी एक अजब उदाहरण है| बंगले में मंदिर और मजार एक साथ बने है| लेकिन इसके बाद भी बंगले को खंडहर करने का प्रयास हो रहा है| आजकल जेल प्रशासन की अनदेखी से बंगले में परिंदों ने बसेरा बना लिया है| यदि इस तरफ ध्यान ना दिया गया तो एक शानदार ऐतिहासिक इमारत खंडहर बनने में जादा समय नही लगेगा|
दरअसल सन 1868 में अंग्रेजों ने शहर क्षेत्र के लकूला से केन्द्रीय कारागार को फ़तेहगढ़ सेन्ट्रल जेल में तब्दील किया| सेन्ट्रल जेल से चंद कदम दूर जेल अधीक्षक के रहने के लिए एक बंगले का निर्माण किया गया था| यह भव्य इमारत इतनी खूबसूरत बनकर तैयार हुई की देखने वाले देखते ही रह जांए| लेकिन क्रांतिकारियों की बढती सक्रियता के चलते अंग्रेज जेल अधीक्षक अपने बंगले से सेन्ट्रल जेल तक पैदल या साइकिल से जाना सुरक्षित नही समझते थे| क्योंकि उस दौरान अधिकारी लकड़ी की साइकिल का इस्तेमाल किया करते थे|
पुराने जानकर बताते है कि सेन्ट्रल जेल अधीक्षक की सुरक्षा को देखते हुए बंगले के भीतर से सेन्ट्रल जेल के भीतर एक एक सुरंग का निर्माण किया गया था| जिसके माध्यम से अंग्रेज अधीक्षक क्रांतिकारियों के भय से बंगले से जेल के भीतर जाया करते थे| बंगले की मजबूती बेमिसाल है| मोटी-मोटी दीवारों पर खड़ी इस ऐतिहासिक इमारत का भविष्य आज खतरे में है| अब बीते कई वर्षों से बंगला खाली पड़ा है| अधीक्षक नये आवास में रहते है|
बंगले में 20 दरवाजे खूबसूरती में लगाते है चारचाँद
अधीक्षक के हबेली की तरह दिखने वाले बंगले में अन्दर बाहर जाने के लिए 20 दरवाजे लगाये गये है| जो बंगले की खूबसूरती में चारचाँद लगा रहे है|
गंगा-जमुनी तहजीब का अजब उदाहरण है अधीक्षक का बंगला
जेल अधीक्षक का बंगला गंगा-जमुनी तहजीब का अजब उदाहरण है| बंगले के प्रवेश द्वारा में प्रवेश करते ही सामने भूमि में एक मजार शरीफ सैय्यद बाबा भोले मियाँ रहमतुल्लाह अलैहे की मजार जमीन के नीचे बनी हुई है| जो कई लोगों के आस्था का केंद्र है| वर्ष 2001 में तत्कालीन वरिष्ठ अधीक्षक बीआर वर्मा ने मजार का सुन्दरीकरण कराया था| कहा जाता है कि देश आजाद होने के बाद अंग्रेजो द्वारा बनायी गयी सुरंग को बंद कर उसके मुख्य द्वारा पर मजार बना दी गयी थी| वही मजार के निकट ही एक खूबसूरत मन्दिर भी है| मन्दिर और मजार एक ही बंगले में होना गंगा-जमुनी तहजीब का अजब उदाहरण है|
केबल खेती के काम आ रहा बंगला
सेन्ट्रल जेल अधीक्षक का बंगला अब केबल खेती करने के काम आ रहा है| बंगले से जुडी हुई जेल की भूमि पर खेती की जाती है| जो जेल विभाग के पास जाती है|
बंगले में बनाया जा सकता है जेल का ऐतिहासिक म्यूजियम
खाली खंडहर होने के लिए खड़े बंगले का प्रयोग अंग्रेजी शासन काल में क्रांतिकारियों पर जेल में हुए जुल्मों के साथ ही साथ जेल से सम्बन्धित पुराना इतिहास और उससे जुडी जानकारी को संजोकर एक मुजियम का रूप भी दिया जा सकता है| जो दूर दराज से आने वाले लोगों और देश के नौनिहालों को हमेशा नयी जानकारी देता रहेगा|
डीआईजी जेल वीपी त्रिपाठी ने जेएनआई को बताया कि बंगले की साफ़-सफाई और रखरखाब का घ्यान रखा जा रहा है| जेल के इतिहास से सम्बन्धित म्यूजियम बंगले में बनाने के लिए शासन स्तर से प्रयास किये जायेंगे|