जन्मदिन खास: कैसे चायवाले से पहले सीएम और फिर पीएम बने नरेंद्र मोदी

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लखनऊ:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को 68 वर्ष के हो गए। गुजरात के वडनगर स्टेशन पर चाय बेचने वाले बालक के हाथ में कभी देश की बागडोर होगी, इसका किसी को सपने में भी अंदाजा नहीं रहा होगा।मगर नरेंद्र मोदी ने करिश्मा कर दिखाया। चायवाले से देश के प्रधानमंत्री बनकर मोदी यह संदेश देने में सफल रहे कि लक्ष्य के प्रति समर्पण और जुनून के आगे कोई भी चीज असंभव नहीं है। उन्होंने आम जन के सपनों को उड़ान भी दी।
खास बात है कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, उस वक्त उन्होंने एक अदना सा चुनाव भी नहीं लड़ा था। दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन स्तर का कामकाज देखने के दौरान ही उन्हें पार्टी और संघ की ओर से गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला हुआ था। प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी वर्ष 2001 से 2014( पीएम बनने से पहले) तक लगातार चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। जानिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी अनोखी बातें।
नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के मेहसाणा जिला स्थित वडनगर में हुआ। उनकी मां हीराबेन मोदी और पिता दामोदरदास थे। मोदी अपने मां-बाप की छह संतानों में तीसरे नंबर के थे। आठ वर्ष की अवस्था में ही बाल नरेंद्र मोदी का झुकाव संघ की तरफ हुआ तो शाखाओं में जाने लगे। 1967 में 17 साल की उम्र में हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और अहमदाबाद पहुंचे और फिर उन्होंने आरएसएस की औपचारिक सदस्यता ग्रहण की।
नरेंद्र मोदी अहमदाबाद में संघ प्रचारकों के साथ काम करने लगे। जब 1975 में इंदिरा गांधी सरकार ने इमरजेंसी लगाई तो मोदी वेश बदलकर भूमिगत हो गए थे। उस समय वह संघ प्रचारकों को अंडरग्राउंड रहकर मदद करते थे। तीस वर्ष की अवस्था में नरेंद्र मोदी आरएसएस में संभाग प्रचारक बन गए। बतौर प्रचारक संघ के प्रचार-प्रसार में जोर-शोर से जुटे रहे।
1985 में मोदी मुख्य धारा की राजनीति से जुड़े, जब संघ ने आवश्यकता के मद्देनजर उन्हें बीजेपी में भेजा। लाल कृष्ण आडवाणी ने 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा निकाली तो नरेंद्र मोदी सारथी बने। इसी तरह वर्ष 1991 में बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी की कन्याकुमारी से श्रीनगर एकता यात्रा के आयोजन में भी मोदी ने बढ़चढ़कर भूमिका निभाई। जिससे मोदी खासे चर्चित हुए। बड़े नेताओं से जुड़े आयोजनों के सफल निर्वहन और संगठन के प्रति निष्ठा तथा लगन देख बीजेपी में नरेंद्र मोदी का 1995 में काफी बढ़ गया। जब पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाया। इसके बाद मोदी दिल्ली मुख्यालय पहुंचे। इसके तीन साल बाद ही 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया। अक्टूबर 2001 तक मोदी इस पद पर रहे।
वर्ष 2001 में जब गुजरात में भूकंप आया तो भारी संख्या में जान-माल की क्षति हुई। 20 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई। तब पार्टी ने केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाकर नरेंद्र मोदी को सीएम की जिम्मेदारी दी।मुख्यमंत्री बनने से पहले मोदी एक भी चुनाव नहीं लड़े थे। उन्होंने अक्टूबर 2001 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अभी सत्ता संभाले हुए पांच महीने ही हुए थे कि गुजरात के गोधरा में दंगा भड़क उठा। एक रिपोर्ट के मुताबिक गोधरा दंगे में दो हजार से ज्यादा लोग मारे गए। उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात के दौरे के दौरान नरेंद्र मोदी को राजधर्म का पालन करने की नसीहत दी थी। कहा जाता है कि उस वक्त उन्हें सीएम पद से हटाने की भी बात चल रही थी, मगर लालकृष्ण आडवाणी के समर्थन की वजह से वाजपेयी को निर्णय बदलना पड़ा था।
दंगे के कुछ ही महीने बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए तो मोदी बहुमत से सत्ता में लौटे। खास बात रही कि दंगे में जो इलाके सर्वाधिक प्रभावित रहे, वहां पर बीजेपी को ज्यादा लाभ मिलता दिखाई दिया। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात की सत्ता की इस कदर नब्ज पकड़ी कि फिर प्रधानमंत्री बनने तक चार बार सीएम बने रहे|सितंबर 2013 में बीजेपी की नई दिल्ली में हुई संसदीय दल की बैठक में नरेंद्र मोदी को 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री उम्मीदवार चुना गया। तब आडवाणी सहित कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इसका विरोध किया था। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की थी।
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी 282 सीटों के साथ बहुमत से सत्ता में पहुंची। फिर 26 मई 2014 को कई पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों की मौजूदगी में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। और अब तक नरेंद्र मोदी देश हित में कई महत्वपूर्ण फैसले ले चुके हैं।