एक टीका करेगा खसरे व रूबेला से बचाव

FARRUKHABAD NEWS जिला प्रशासन सामाजिक

फर्रुखाबाद:सरकार द्वारा एम.आर. (मीजल्स रूबेला) वैक्सीन की शुरुआत प्रदेश के सभी जिलों में की जा रही है। यह वैक्सीन बच्चों में होने वाले खसरे एवं रूबेला से बचाव के लिए पूरा कार्य करेगी| एक टीका दोनों बिमारियों के लिए सुरक्षा कबच होगा|
नगर के ठंडी सड़क स्थित एक होटल में विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया| जिसमे एम.आर. (मीजल्स रूबेला) वैक्सीन की शुरुआत के विषय में जानकारी दी गयी| जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ॰अनुज त्रिपाठी ने बताया कि बच्चों को दी जाने वाली खसरे के टीके की जगह अब खसरा एवं रूबेला दोनों रोगों से संयुक्त बचाव के लिए एमआर वैक्सीन को नियमित टीकाकरण में शामिल किया जाएगा। उन्होने बताया कि इस नए टीके का डोज़ खसरे के पुराने डोज़ की ही तरह रहेगा । नियमित टीकाकरण के दौरान 9 महीने के बच्चे को पहला डोज़ एवं 16 से 24 महीने के बच्चे को दूसरा डोज़ दिया जाएगा ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 अरुण कुमार ने बताया कि आगामी 26 नवम्बर से इस टीके को अभियान के रूप में 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को लगाया जायेगा| अभियान के दौरान 9 माह से 15 साल तक के सभी बच्चे एवं किशोरों को स्कूलो में जाकर यह टीका लगाया जाएगा।इसके बाद एक सप्ताह तक इस अभियान में सभी छूटे हुये बच्चों का टीकाकारण सुनिश्चित करने के बाद अगले दो सप्ताह तक सामुदायिक स्तर पर इस अभियान को चलाकर बच्चों एवं किशोरों को प्रतिरक्षित किया जाएगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्विलान्स मेडिकल ऑफिसर डॉ० शुतांशु ने बताया कि रूबेला वायरस से फैलने वाली एक संक्रामक एवं खतरनाक बीमारी है। इसलिए 2020 तक रूबेला पर पूर्ण नियंत्रण एवं ख़सरा को ख़त्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । उन्होने बताया 95 प्रतिशत रूबेला का वायरस 15 साल तक के बच्चों के माध्यम से वायुमंडल में फ़ैलता रहता है। यह वायरस गर्भवती माता के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चों पर गंभीर रूप से असर डालता है एवं इस वायरस से बच्चा अंधा, गूंगा, हृदय रोग, गुर्दे के रोग, अपंग होने के साथ गर्भ में ही उसकी मृत्यु तक हो जाती है। इस वायरस से होने वाली विभिन्न समस्याओं को कोनजीनैटल रूबेला सिंड्रोम के भी नाम से जाना जाता है।
उन्होने बताया कि इस टीके के मदद से इस ख़तरनाक वायरस को बच्चों के माध्यम से वायुमंडल में फैलने से रोका जा सकेगा। उन्होने बताया कि प्रतिवर्ष देश में लगभग 40 से 50 हजार रूबेला वायरस से संक्रमित मामलों की पुष्टि होती है। इसके अलावा रूबेला वायरस से संक्रमित महिला में अचानक गर्भपात एवं गर्भ नहीं ठहरने की भी समस्या आम तौर पर देखी जा सकती है।
कार्यशाला के दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ॰ दलवीर सिंह एवं डॉ॰ राजीव शाक्य, जिला कार्यक्रम प्रबंधक कंचन बाला, विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ॰ तनुज, यू.एन.डी.पी. से मानव शर्मा, अपर शोध अधिकारी हरिमोहन कटियार, सभी ब्लॉकों के अधीक्षक, अपर सोध अधिकारी, प्रतिरक्षण अधिकारी, बीपीएम एवं ए.एन.एम. आदि लोग उपस्थित रहे।