अनावश्यक गर्भपात कराने वाले अस्पतालों पर कसेगी नकेल

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फर्रुखाबाद: अनावश्यक गर्भपात कराने वाले अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की तैयारी स्वास्थ्य विभाग कर रहा है| इस सम्बन्ध में एक कार्यशाला का आयोजन कर अनावश्यक गर्भपात ना कराने का सुझाव दिये गये| इसके साथ ही साथ सुरक्षित गर्भपात को लेकर विस्तार से चर्चा की गयी |
नगर के एक होटल में स्वास्थ्य विभाग व बात्सल्य और आई पास डेवलेपमेंट फाउंडेशन के सहयोग से सुरक्षित गर्भपात को लेकर सरकारी और निजी चिकित्सकों के साथ एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दलवीर सिंह ने कहा कि जिले के निजी अस्पतालों में चल रहे मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) सेंटर पर अब अनावश्यक गर्भपात नहीं हो सकेंगे। शासन की वेबसाइट पर सेंटर संचालकों को पंजीकरण कराना होगा। प्रति माह रिपोर्ट भी सीएमओ कार्यालय को प्रेषित करनी होगी।
साथ ही यह भी कहा कि जिले के निजी अस्पतालों में दर्जनों की संख्या में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) सेंटर चलाए जा रहे हैं। इन सेंटरों का लेखा जोखा फिलहाल मैनुअल है, जो सीएमओ कार्यालय के रिकॉर्ड में है। इन सेंटरों पर एमटीपी अधिनियम के तहत आवश्यकता पड़ने पर गर्भपात कराया जाता है।
लेकिन कई बार शिकायत यह भी मिलती है कि कुछ सेंटरों पर अनावश्यक गर्भपात भी कराया जा रहा है। इस समस्या से निजात पाने को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा एक वेबसाइट लांच की गई है। अब सेंटर संचालकों को डब्लूडब्लूडब्लू.सीएसीउत्तरप्रदेश.इन पर पंजीकरण कराना होगा।
इसेक बाद अधिनियम अनुसार फार्म-ए सीएमओ कार्यालय में आवश्यक अभिलेखों के साथ जमा करना होगा। हर महीने अधिनियम अनुसार फार्म-2 की रिपोर्ट सीएमओ कार्यालय में प्रेषित करनी होंगी।
उन्होंने कहा कि  गर्भपात कराने के लिए अगर कोई आशा किसी महिला को लेकर आती है तो आशा को इसके लिए सरकार द्वारा 150 रूपए की धनराशि दी जाती है |एमटीपी एक्ट के तहत एक महिला अगर गर्भपात कराती है तो 12 हफ्ते से ज्यादा का गर्भ हो तो रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर की अनुशंसा की जरूरी होती है, वहीं अगर यह 12 से 20 हफ्ते का है, तो 2 रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिश्नर्स की अनुशंसा की जरूरत पड़ेगी। जिसके चलते महिलाएं असुरक्षित गर्भपात का रुख करती हैं।
इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० राजीव शाक्य, डॉ०अनुराग बर्मा जिला कार्यक्रम प्रबंधक कंचनबाला, आई पास डेवलेपमेंट फाउन्डेशन से आलोक चतुर्वेदी, बात्सल्य से हनी कश्यप,उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई से शुभम राय, डॉ शोभा सक्सेना आदि रहे|